23 की उम्र में ऐसे बना 6000 Cr. का मालिक, कभी सड़क पर बेचता था सिम
आज Oyo Rooms नाम की कंपनी की शुरुआत कर बड़े–बड़े अनुभवी बिजनेसमैन और इन्वेस्टर्स को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। ये कंपनी ओयो रूम्स का काम ट्रैवलर्स को सस्ते दामों पर बेहतरीन सुविधाओं के साथ देश के बड़े शहरों में भी उपलब्ध है। इसकी शुरुआत 17 साल के एक लड़के ने की थी, जिसकी वेल्यू आज लगभग 6000 करोड़ तक पहुंच गई है, और साथ ही साथ इसकी बुकिंग में हर 3 महिने में 30 प्रतिशत की बढ़त हो रही है। हाल ही में OYO रूम में जापान के सॉफ्टबैंक ने 250 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। सॉफ्टबैंक का भारत में यह फ्लिपकार्ट के बाद दूसरा सबसे बड़ा निवेश है।
कभी किराया देने के लिए भी नहीं थे पैसे
इस कंपनी के फाउंडर रितेश अग्रवाल हैं। जिन्होंने 17 साल की उम्र में इंजीनियरिंग छोड़ इस कंपनी की शुरुआत की। ये कंपनी उन्होंने बिना किसी की मदद के शुरू की थी और सिर्फ 6 साल में 6000 करोड़ तक पहुंच गई है। इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनके पास शुरुआती दिनों में किराया देने के लिए भी पैसे नहीं होते थे और कई रातें उन्होंने सीढ़ियों पर बिताई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वे सिम कार्ड भी बेचा करते थे। रितेश ने एक वेबसाइट तैयार की थी जहां वे सस्ते और किफायती होटल्स के बारे में जानकारी अपडेट करते थे जिस वेबसाइट का नाम रखा ‘ओरावल‘।जानकारी के मुताबिक रितेश कुछ दिन वेबसाइट चलाने के बाद को लगा कि नाम के कारण लोग वेबसाइट को समझ नहीं पा रहे हैं, इसलिए उन्होंने2013 में उसका नाम बदल कर OYO Rooms रख दिया
इस कंपनी के फाउंडर रितेश अग्रवाल हैं। जिन्होंने 17 साल की उम्र में इंजीनियरिंग छोड़ इस कंपनी की शुरुआत की। ये कंपनी उन्होंने बिना किसी की मदद के शुरू की थी और सिर्फ 6 साल में 6000 करोड़ तक पहुंच गई है। इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनके पास शुरुआती दिनों में किराया देने के लिए भी पैसे नहीं होते थे और कई रातें उन्होंने सीढ़ियों पर बिताई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वे सिम कार्ड भी बेचा करते थे। रितेश ने एक वेबसाइट तैयार की थी जहां वे सस्ते और किफायती होटल्स के बारे में जानकारी अपडेट करते थे जिस वेबसाइट का नाम रखा ‘ओरावल‘।जानकारी के मुताबिक रितेश कुछ दिन वेबसाइट चलाने के बाद को लगा कि नाम के कारण लोग वेबसाइट को समझ नहीं पा रहे हैं, इसलिए उन्होंने2013 में उसका नाम बदल कर OYO Rooms रख दिया
ऐसे आया आईडिया
सन 2009 में रितेश देहरादून और मसूरी घूमने गए थे। वहां से उन्हें इस बिजनेस के बारे में आइडिया आया। उन्होंने ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बनाने के बारे में सोचा, जहां एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को रूम और फूड उपलब्ध करा सकें। फिर 2011 में रितेश ने ओरावेल की शुरुआत की। उनके इस आइडिया से गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरावेल में निवेश किया और को–फाउंडर बन गए। इसके बाद 2012 में ओरावेल को आर्थिक मजबूती मिली,जब देश के पहले एंजल आधारित स्टार्ट–अप एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल ने उनकी हेल्प की। आज पूरे भारत में इसके 8,500 होटलों में70,000 से भी ज्यादा कमरे हैं।
सन 2009 में रितेश देहरादून और मसूरी घूमने गए थे। वहां से उन्हें इस बिजनेस के बारे में आइडिया आया। उन्होंने ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बनाने के बारे में सोचा, जहां एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को रूम और फूड उपलब्ध करा सकें। फिर 2011 में रितेश ने ओरावेल की शुरुआत की। उनके इस आइडिया से गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरावेल में निवेश किया और को–फाउंडर बन गए। इसके बाद 2012 में ओरावेल को आर्थिक मजबूती मिली,जब देश के पहले एंजल आधारित स्टार्ट–अप एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल ने उनकी हेल्प की। आज पूरे भारत में इसके 8,500 होटलों में70,000 से भी ज्यादा कमरे हैं।
2 दिन गए थे कॉलेज
रितेश का जन्म ओडिशा के बिस्सम कटक गांव में हुआ था। रायगड़ा के सेक्रेट हार्ट स्कूल से उन्होंने पढ़ाई की है। वे शुरू से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से इन्सपायर थे और वेदांता के अनिल अग्रवाल को अपना आदर्श मानते हैं। रितेश स्कूल स्कूलिंग के बाद आईआईटी में इंजीनियरिंग में एडमिशन लेना चाहते थे लेकिन सफल न हो सके। इसके बाद रितेश ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में एडमिशन लिया और वहां भी वे सिर्फ दो दिन ही लंदन यूनिवर्सिटी के दिल्ली कैंपस गए थे।
रितेश का जन्म ओडिशा के बिस्सम कटक गांव में हुआ था। रायगड़ा के सेक्रेट हार्ट स्कूल से उन्होंने पढ़ाई की है। वे शुरू से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से इन्सपायर थे और वेदांता के अनिल अग्रवाल को अपना आदर्श मानते हैं। रितेश स्कूल स्कूलिंग के बाद आईआईटी में इंजीनियरिंग में एडमिशन लेना चाहते थे लेकिन सफल न हो सके। इसके बाद रितेश ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में एडमिशन लिया और वहां भी वे सिर्फ दो दिन ही लंदन यूनिवर्सिटी के दिल्ली कैंपस गए थे।
कई समस्याएं थी सामने
फंडिंग, मार्केटिंग और प्रॉपर्टी के ऑनर्स और इन्वेस्टर्स तक पहुंचने जैसे उनके सामने भी कई समस्याएं आईं थीं। लेकिन टीम वर्क और सही गाइडेंस से वे आगे बड़ते गए और कंपनी को खड़ा किया। ओयो ने सॉफ्टबैंक सहित मौजूदा इन्वेस्टर्स और हीरो एंटरप्राइज से 25 करोड़ डॉलर (1,600 करोड़ रुपए से अधिक) की नई फंडिंग की है। कंपनी इस फंड का इस्तेमाल भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए करना
फंडिंग, मार्केटिंग और प्रॉपर्टी के ऑनर्स और इन्वेस्टर्स तक पहुंचने जैसे उनके सामने भी कई समस्याएं आईं थीं। लेकिन टीम वर्क और सही गाइडेंस से वे आगे बड़ते गए और कंपनी को खड़ा किया। ओयो ने सॉफ्टबैंक सहित मौजूदा इन्वेस्टर्स और हीरो एंटरप्राइज से 25 करोड़ डॉलर (1,600 करोड़ रुपए से अधिक) की नई फंडिंग की है। कंपनी इस फंड का इस्तेमाल भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए करना
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