KIC 8462852: क्या इस तारे पर एलीयन सभ्यता है?

KIC 8462852: क्या इस तारे पर एलीयन सभ्यता है?

     

Follow us on :- www.aajtak2.blogspot.com





खगोलशास्त्रीयो की एक टीम द्वारा प्रस्तुत एक शोध पत्र ने एलीयन या परग्रही के कारण खलबली मचा दी है।


KIC 8462852 का व्यवहार विचित्र क्यों है ? क्या यह धुल, ग्रहो के मलबे से है या एलियन सभ्यता के कारण ?

रूकिये! रूकिये! उछलिये मत! इस शोधपत्र मे एलीयन शब्द का कोई उल्लेख नही है, ना ही वह पत्र अप्रत्यक्ष रूप से एलियन की ओर कोई संकेत दे रहा है। लेकिन खगोलशास्त्रीयों ने एक तारा खोजा है जो विचित्र है, उसका व्यवहार इतना अजीब है कि उसकी व्याख्या करना कठीन है। इस तारे मे कुछ तो अलग है। कुछ खगोलशास्त्रीयों ने जिन्होनें इस कार्य मे भाग लिया था वे सोच रहे है कि शायद उन्होने एलियन सभ्यता के संकेत पा लिये है और यह विचित्र व्यवहार किसी विकसित परग्रही सभ्यता की वजह से हो सकता है।

लेकिन अभी इस पर इतना उत्तेजित होने की आवश्यकता नही है, यह केवल एक अवधारणा है, इसके सत्यापित होने की संभावना अभी कोसो दूर है लेकिन सोशल नेटवर्क तथा कुछ मीडिया संस्थानो ने इसे सनसनीखेज खबर बना दिया है। इस अभियान मे शामिल वैज्ञानिक अभी संशंकित है, वे सिर्फ़ इतना कह रहे है कि ऐसा हो सकता है ना कि ऐसा है।

विज्ञान की दृष्टि से दोनो संभावनाये नये द्वार खोलेगी।



ग्रहो की खोज की संक्रमण विधी

यह तारा KIC 8462852 है, जोकि नासा के केप्लर अभियान के द्वारा निरीक्षित लाखों तारो मे से एक है। केप्लर अंतरिक्ष वेधशाला इन तारो के निरीक्षण करते समय उनके प्रकाश मे आने वाली कमी को महसूस कर लेती है। यदि किसी तारे के प्रकाश मे किंचित कमी आती है तो उसके अनेक कारण हो सकते है। इन कारणो मे सबसे प्रमुख है उस तारे के पास एक या एक से अधिक ग्रहो की उपस्थिति जिनका परिक्रमा पथ पृथ्वी तथा उस तारे के मध्य है। जब कोई ग्रह अपने मातृ तारे के सामने से गुजरता है तो वह ग्रह उस तारे के प्रकाश को हल्का कम कर देता है, प्रकाश मे आने वाली इस कमी को केप्लर वेधशाला पकड़ लेती है। किसी ग्रह दवारा अपने तारे के सामने से इस संक्रमण से मातॄ तारे के प्रकाश मे आने वाली कमी एक प्रतिशत से कम होती है।


अब तक इस विधि से हजारो सौर बाह्य ग्रह खोजे जा चुके है। सामान्यतः ग्रहो का अपने मातृ तारे की परिक्रमा काल निश्चित होता है, जिससे इन तारो के प्रकाश मे आने वाली कमी भी एक निश्चित अंतराल के बाद दिखायी देती है, यह अंतराल कुछ दिन, सप्ताह, महीने या वर्ष भी हो सकता है। यह अंतराल उस ग्रह की कक्षा के आकार पर निर्भर करता है।

KIC 8462852 तारा सूर्य से अधिक द्रव्यमान वाला, अधिक उष्ण तथा अधिक चमकिला है। वह पृथ्वी से लगभग 1,500 प्रकाशवर्ष दूर है, यह दूरी थोड़ी अधिक है और इस तारे को नग्न आंखो से देखना कठिन है। इस तारे से प्राप्त केप्लर अंतरिक्ष वेधशाला के आंकड़े विचित्र है। इस तारे के प्रकाश मे कमी आती देखी गयी है, लेकिन उसका अंतराल नियमित नही है। प्रकाश मे आने वाली कमी की मात्रा भी अधिक है, एक बार प्रकाश पंद्रह प्रतिशत कम हुआ था तो एक बार 22 प्रतिशत।


“तारा प्रकाश मे कमी
केप्लर आंकड़ो के अनुसार चमक मे 22 प्रतिशत तक की कमी है। x अक्ष पर दिन दिये गये है। नीचे वाले दो आलेखो मे उपर वाले आलेख के दो अंतरालो को ही दिखाया गया है। बाये वाला 800वे दिन को तथा दाये वाला 1500 वे दिन को दर्शा रहा है।”

इसका सीधा सीधा अर्थ है कि इस बार हमने कोई ग्रह नही खोजा है। बृहस्पति के आकार का ग्रह भी अपने मातृ तारे केवल एक प्रतिशत प्रकाश रोक सकता है। बृहस्पति से बड़े आकार का ग्रह संभव नही है। यदि उस ग्रह का द्रव्यमान अधिक हो तो भी आकार वही रहेगा केवल घनत्व बढ़ेगा। यह कमी किसी अन्य तारे से भी नही हो सकती क्योंकि ऐसे किसी तारे को हम अवश्य देख लेते। किसी ग्रह या तारे की वजह से प्रकाश मे कमी आती तो वह एक नियमित अंतराल मे होती, जबकि यह कमी नियमित अंतराल मे भी नही है। इस तारे के प्रकाश को जो भी रोक रहा है वह महाकाय है, इस तारे के लगभग आधे आकार का है!


केप्लर के आंकड़ो के आने से इस तारे के प्रकाश मे कमी सैंकड़ो बार देखी गयी है। प्रकाश मे आने वाले कमी के अंतराल मे किसी भी तरह की नियमितता नही है, कमी एक अनिश्चित अंतराल पर, अनिश्चित मात्रा मे हो रही है। इस कमी का व्यवहार भी अजीब है। किसी ग्रह से अपने मातृ तारे के प्रकाश मे आने वाली कमी का आलेख मे एक सममिती(Symmetry) होती है; प्रकाश पहले हल्का धीमा होता है , थोड़े अंतराल के लिये उसी मात्रा मे धीमा रहता है और वापस अपनी पुर्वावस्था मे आ जाता है। [उपर संक्रमण विधि का चित्र देखे।] KIC 8462852 तारे के प्रकाश के निरीक्षण के 800 वे दिन के आंकड़ो मे ऐसा नही देखा गया है, प्रकाश धीरे धीरे कम होता है और अचानक तीव्रता से बढ़ता है।1500 वे दिन प्रकाश मे आ

Popular posts from this blog

खजुराहो मंदिर का रोचक इतिहास | Khajuraho Temple History

किले के तहखानों में छिपा है सिंधिया का खजाना, 'बीजक' है इस 'गंगाजली' की चाबी Follow us on:- www.aajtak2.blogspot.com

ये हैं रामायण के सबूत इन्हें देख आप भी मान जाएंगे रामायण सच है